Not known Factual Statements About बबूल के फायदे और नुकसान





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फूल: इसके फूल पीले, गोल, और हल्की गंध वाले होते हैं। फली: इसकी फली सफ़ेद और ७-८ इंच लम्बी होती है। इसमें ८-१० बीज होते है।

इसके वृक्ष सन्निकट जमीन तथा काली मिटटी में अधिक पाए जाते हैं। यह एक मध्यम आकार का वृक्ष होता है। इस कांटेदार वृक्ष के कांटे सफ़ेद से १-३ इंच तक लम्बे जोड़े होते हैं।

डाइटिशियन के मुताबिक ग्वार फली में आयरन की अच्छी मात्रा पाई जाती है। इसका सीमित मात्रा में सेवन करने से एनीमिया से बचाव करने में मदद मिलती है।

दस्त की परेशानी में बबूल की दो फलियां खाकर ऊपर से छाछ पिएंं। दस्त बंद हो जाती है।

इसकी कच्ची फलियों का गाढा तरल निकालकर उस गाढे तरल को कपड़ों पर गाडा-गाडा लगाकर सुखा लें जिससे कपड़ा सौंखकर मोम जमे की तरह हो जाए। इस कपड़े को चोली बनाकर जिस स्त्री की छाती लटक गई हो उसको पहनाने से उसकी छाति सख्त और मजबूत हो जाती हैं।

बबूल की छाल के काढ़ा से गरारा करने से भी दांतों के दर्द से राहत मिलती है।

इसके अलावा सूखे पत्तों या सूखी website छाल का चूर्ण रक्तस्राव वाले स्थान पर छिड़कें। इससे रक्तस्राव में लाभ होता है।

सब्जी

इस गोंद को घी में भूलकर भी खाया जा सकता है।

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मोटापा बहुत सी बीमारियों का कारण होता है, इसलिए आप भी नहीं चाहेगें की आप अधिक मोटे हों। यदि आप मोटापा कम करना चाहते हैं या मोटा नहीं होना चाहते हैं तो बबूल गोंद का सेवन करें। यदि आप बबूल गोंद की थोड़ी मात्रा का सेवन प्रतिदिन करते हैं तो इसमे मौजूद फाइबर आपके वजन को कम करने में मदद करते हैं। बबूल गोंद का नियमित सेवन करने से आपको अतिरिक्‍त भूख का एहसास नहीं होगा जो कि आपके मोटापे का मुख्‍य कारण होता है। आप यदि मोटापे और इससे संबंधित अन्‍य समस्‍याओं से बचना चाहते हैं तो बबूल गोंद का नियमित सेवन कर सकते हैं।

इस के हरे पत्तों का लेप जख्म को भरता है और गर्मी के सूजन को दूर करता है।

आंखों से पानी बहने पर बबूल के पत्तों का काढ़ा बनाएं। इसमें शहद मिलाकर काजल की तरह लगाएं। इससे आंखों से पानी बहने की परेशानी ठीक होती है।

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